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नज़्म
मेरी दानिस्त में हम-जिंस हैं होली और ईद
दोनों हैं लुत्फ़-ओ-मसर्रत के लिए रोज़-ए-सईद
रंगेशवर दयाल सक्सेना सूफ़ी
नज़्म
क्यूँ ज़ियाँ-कार बनूँ सूद-फ़रामोश रहूँ
फ़िक्र-ए-फ़र्दा न करूँ महव-ए-ग़म-ए-दोश रहूँ
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
नहीं मालूम 'ज़रयून' अब तुम्हारी उम्र क्या होगी
वो किन ख़्वाबों से जाने आश्ना ना-आश्ना होगी
जौन एलिया
नज़्म
दुनिया की इल्ला-बिल्ला ठसी पड़ी है मुझ में
हाँ कुछ काम की चीज़ें भी हैं इस कबाड़-ख़ाने में
मोहम्मद हनीफ़ रामे
नज़्म
मजीद अमजद
नज़्म
ये भी तिलिस्म-ए-होश-रुबा है
ज़िंदा चलते-फिरते हँसते रोते नफ़रत और मोहब्बत करते इंसाँ
वहीद अख़्तर
नज़्म
चश्म-ए-बद-दूर कराची में ट्रैफ़िक का निज़ाम
ऊँट-गाड़ी की गधा-गाड़ी की टिक-टिक का निज़ाम